नमन


नमन 


अज्ञानता की काली श्यामपट्ट पर 

गुरु जब अपनी 

कृपा के आलोक में लिखते हैं

तब उजियारे का जीवन महकता है 

त्रुटियों के कंटक हटे 

राह फूलों की हो जाती है

नमन ऐसे गुरुवर को जो

हम सबके कल्याण में 

उपेक्षा का हलाहल पाते हैं।


प्रश्नों की कठिनतम दुनिया से 

वैतरणी पार लगाते सदा

ज्ञान का मशाल थामे

सकारात्मक विचारों की प्रेरणा से

प्यार,करुणा का ज्ञान बोते 

चाहें किसी से कुछ भी नहीं

सदैव पूछते और कैसे हो?

फिर कहते- खुश रहो।


इस जीवन में माँ गुरु है

शिक्षक गुरु हैं

कष्टों से निकालने वाले गुरु हैं

मानवता और अनुशासन पढ़ाते,

पाप-पुण्य का भेद बताते और 

मोक्ष की राह बताने वाले गुरु हैं

गुरुओं की इस भूमि को नमन

नमन इस विश्व गुरु भारत को।

…..

रमेश कुमार सोनी

रायपुर,छत्तीसगढ़

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