रमेश कुमार सोनी
शासकीय आदर्श उच्च. माध्यमिक विद्यालय – बसना [ छत्तीसगढ़ ]
विश्व हाइकु दिवस पर विशेष हाइकु











वर्षा में लोग
ख़ुशी से झूमे – नाचे
बाढ़ में दुःखी ||

माँगी ममता                                           
जन्मों बाद भी वही
भ्रूण में हत्या ||       - आयुष दूबे , ११ वीं

नया सबेरा
धूप का इन्तजार
पुस की भोर ||

बन्दर टोली
उछल – कूद करे
पेड़ डरते ||          - शरद डडसेना , १२ वीं

रोती है डाली
झरते पत्तों संग
विदा करती ||

जो न था कभी
उसी की तलाश में
जग भटके ||          - जीशु कनर , ११ वीं

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इन छात्रों को लिखते हुए मुझे जो एहसास हुआ वो इस हाइकु के रूप में प्रकट हुआ –

धुंए के छल्ले
मौत की बल्ले बल्ले
बूझ ले बंदे ||

राख बताती
आग की भूख ब्यथा
बस्तियाँ खा ली ||


दिन निकला
लोग घरों से भागे
पैसों के पीछे ||

           - रमेश कुमार सोनी

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