भोर के हाइकु
१
भोर का यज्ञ
अश्वमेघ के घोड़े
रात ने रोके ||
२
भोर का फेरा
उजाला नहीं बिका
रोज का डेरा ||
३
भोर निडर
रात गाँव से चले
दिन के घर ||
४
पाखी का गान
ओस - इन्द्रधनुष
भोर की शान ||
५
भोर में पक्षी
दानों के देश जाते
भजन गाते ||
६
नभ के गाल
जित देखूं है लाल
भोर की लाली ||
७
जागृति लाने
भोर किरणें दौड़ी
स्वर्ण पा गयी ||
८
प्रातः की बात
अंधेरों का इतिहास
दिन भविष्य ||
९
भोर की बातें
पशु – पक्षी समझे
लोग उलझे ||
१०
भोर की माया
स्वर्ण किरणें लायीं
जागृति बेला ||
११
ऊँघते जागा
सूरज लाल – पीला
भोर उठाता ||
१२
भोर का मेला
कर्म – धर्म का रेला
जीवन बना ||
१३
भोर की भाषा
पक्षी गढ़ते गाथा
लांघते सीमा ||
१४
भोर पुकारे
अब उठो भी प्यारे
कर्म ताकते ||
१५
भोर में गाँव
बच्चों जैसा निर्मल
कर्म का दाँव ||
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