शीत के हाइकु 
धुंध जिंदगी
सूर्य उगे भागती
दिखा बत्तीसी ||

शीत है आती
धुंध श्वेटर डाले
नखरे वाली ||

शीत ने मारा
गर्मी बचाने दौड़ा
लिए अलाव ||

नाक जानती
ठण्ड कितनी पड़ी
रोते बहती ||

शीत नगर
धुंध बीच जिंदगी
सूझे तो बूझें ||


 
धुंध में पौधे
उनके आते खिले
छिपे ताकते ||


सर्दी में वन
सियार चिल्लाते हैं –
ठंड से बचा ||

भोर दूल्हन
धुंध घूँघट उठा
लजाते आती ||

शीत में पका
हरा से मीठा होता
पपीता प्यारा ||

१०
शीत का कर्फ्यू
पुस पुन्नी का चाँद
गश्त में फिरे ||

 ११
धूप से बातें
पुस सीखा जाती
ठण्ड रखिए ||

१२
घरों में घुसी
हाड़ कंपाती शीत
कम्बल ढूंढे ||

१३
शीत का डेरा
आगोश में दुनिया
हिम की वर्षा ||

१४
भोर ताकते
पशु – पक्षी भी काँपे
कोहरा ठगे ||

१५
टमाटर जी
दो सौ वाला दस में
ठण्ड सिकोड़े ||


 १६
शीत मौसम
ठंडा पानी डराए
नहाते डरे ||

१७
कोहरा चीर
वाहन बढ़ चले
बर्फ ने रोका ||

१८
ठण्ड में बच्चे
उठने के नखरे
सूर्य भी डरे ||

१९
पानी खोजते
बर्फ गाँव के लोग
प्यास ना थमे ||

२०
जेठ की गर्मी
पुस में चाहे लोग
अजीब माँग ||


.................   ..................

No comments:

Post a Comment