नमन

वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम।

देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्।।

नमन 

अज्ञानता के श्यामपट्ट पर 

गुरु जब अपनी 

कृपा के आलोक में लिखते हैं

तब उजियारे का जीवन महकता है 

नमन ऐसे गुरुवर को जो

हम सबके कल्याण में 

उपेक्षा का हलाहल पाते हैं।


प्रश्नों की कठिनतम दुनिया से 

वैतरणी पार लगाते सदा

ज्ञान की मशाल थामे

सकारात्मक विचारों की प्रेरणा से

प्यार,करुणा का ज्ञान बोते 

चाहें किसी से कुछ भी नहीं

सदैव पूछते और कैसे हो?

फिर कहते- खुश रहो।


मानवता और अनुशासन पढ़ाते,

पाप-पुण्य का भेद बताते और 

मोक्ष की राह बताने वाले गुरु हैं

गुरुओं की इस भूमि को नमन

नमन इस विश्व गुरु भारत को।

…..

रमेश कुमार सोनी



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