1
जेठ की छाया
छोटे कपड़ों जैसी
आकाशी माया।
2
किसने छेड़ा
जेठ आगबबूला
गर्म-ज़ुबान।
3
प्यास की यात्रा
पानी ढूँढती फिरे
कुआँ से प्याऊ।
4
छाँव बेफिक्र
लू का कद बड़ा है
छोटा-दुलारा।
5
लू, कुंडी छेड़े
द्वार सब बंद है
पनाह माँगे।
6
गाँव के मेले
पीपल पंखा झेले
खुश-बटोही।
7
ग्रीष्म के घर
सब पानी भरते
पसीना-थके।
8
लू जो निकले
राहें सूनी हो जाती
'वी.आई.पी.' है।
9
धूप-घमंडी
छाँव में नहीं बैठे
जलकुकड़ा।
10
धूप अकेले
क्रोध में कौन साथी
घर न रिश्ते।
11
प्यास बुझाती
शरबत-लस्सी
गर्मी में छाँव।
12
धूप को धरा
छाती फाड़ दिखाती
दम अपना।
13
गर्मी की छुट्टी
आँगन में खटिया
किस्सों में बीती।
14
धूप-हाँफते
भोर से सीढ़ी चढ़े
पीली से लाल ।
15
कैक्टस-खुश
पानी बोतल साथ
धूप से दोस्ती।
16
ऊँट-दौड़ते
धूप डरा न पाते
रेतों के गाँव।
17
भैंस बेफ़िक्र
तालाब में बैठक
धूप भी हारा।
18
गली के कुत्ते
धूप को चाट जाते
हाँफते बैठे।
19
हठीला-धूप
घर बना मैदान
बच्चों से कुट्टी।
20
नौतपा वेश
धूप तैश दिखाते
कूलर थके।
......
रमेश कुमार सोनी
रायपुर, छत्तीसगढ़
No comments:
Post a Comment