राम कथा के हाइकु



1

जटायु मन 

सीता लाज की रक्षा 

मौत से लड़ा। 


2

राम का स्पर्श

शीला, नारी हो गयी

कलंक धुला। 


3

शबरी-भक्ति

जूठे बेर खिलाती

राम हर्षाते। 


4

स्वर्ण हिरण

माया को माया छले

अद्भुत लीला। 


5

सुषेण फर्ज़ 

शक्ति बाण का मर्ज़ 

शत्रु भी मित्र। 


6

समुद्र ऐंठा 

राम क्रोध से डरा 

राह दिखाया। 


7

पत्थर तैरे

गिलहरी भी खुश 

नाम महिमा। 


8

कैकेयी वार

बैरी रावण-वध 

राम के काँधे। 


9

खड़ाऊ पूजे

भरत धन्य भ्राता

मिसाल जिंदा। 


10

शर्त-केंवट 

राम पार उतारे 

नेंग बदले। 


11

रावण-बाली

स्त्री हरण की सजा

राम का न्याय। 

..........


रमेश कुमार सोनी 

रायपुर, छत्तीसगढ़, 


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