हिंदी ताँका-काव्य पर प्रथम शोध-प्रबंध
*डॉ. रामनिवास 'मानव' और उनका तांका-काव्य*
साईंनाथ विश्वविद्यालय, रांची (झारखंड) द्वारा पी-एच.डी. (हिंदी) उपाधि हेतु स्वीकृत प्रस्तुत शोध-प्रबंध में शोधार्थी डॉ. स्वाति डांगी द्वारा, वरिष्ठ कवि डॉ. रामनिवास 'मानव' के ताँका-काव्य पर गंभीर और विस्तृत शोधपरक विवरण दिया गया है, जो आने वाली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक का कार्य करेगा। यह हिंदी ताँका-साहित्य पर प्रस्तुत विश्व का प्रथम शोध-प्रबंध है, जो अब प्रकाशित होकर पाठकों के समक्ष उपलब्ध है।
प्रस्तुत शोध-प्रबंध में वर्ण्य विषय को निम्नलिखित पांच अध्यायों में वर्गीकृत किया गया है-
1. डॉ. 'मानव' का जीवन परिचय
2. हिंदी-ताँका और डॉ. 'मानव' का ताँका-काव्य
3. डॉ. 'मानव' के ताँका-काव्य की संवेदना
4. डॉ. 'मानव' के ताँका-काव्य का शिल्प
5. उपसंहार एवं उपलब्धियाँ।
उल्लेखनीय है कि बहुआयामी प्रतिभा के धनी डॉ. 'मानव' की कविता, दोहा, द्विपदी, त्रिपदी, हाइकु, तांका, सेदोका, बालकाव्य, लघुकथा, शोध और समीक्षा आदि विधाओं की सैंतीस मौलिक एवं महत्त्वपूर्ण कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। इनके अतिरिक्त आपकी एक दर्जन संपादित और एक दर्जन ही विभिन्न भाषाओं में अनूदित कृतियां भी प्रकाशित हो चुकी हैं। यही नहीं, अपने निर्देशन में शताधिक शोधार्थियों को एम.फिल्., पी-एच.डी. और डी.लिट्. करवा चुके डाॅ. 'मानव' के साहित्य पर भी एम.फिल्. हेतु 51 बार, पी-एच.डी. हेतु 22 बार तथा डी.लिट्. हेतु 02 बार शोधकार्य संपन्न हो चुका है। इनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर अनेक शोध-ग्रंथ, संपादित ग्रंथ, स्मारिकाएं तथा पत्र-पत्रिकाओं के विशेषांक भी प्रकाशित हो चुके हैं। अनेक शैक्षणिक संस्थानों के पाठ्यक्रमों में आपकी विविध रचनाओं का समावेश, इंटरनेट पर आपके साहित्य की जानकारी एवं हूजहू में आपका परिचय उल्लेखनीय है।
इसके अतिरिक्त प्रस्तुत शोध-प्रबंध में आपके ताँका-काव्य में वर्णित विविध प्रकार की संवेदनाओं, ताँका-काव्य के शिल्प, भाषा-संरचना, छंद-विधान, अलंकार-प्रयोग, बिंब एवं प्रतीक विधान तथा सूक्ति-प्रयोग की भी विस्तृत जानकारी मिलती है। इस ग्रंथ में ताँका की परिभाषा, स्वरूप, उद्भव और विकास की विस्तृत विवेचना की गई है, जो तथ्यपरक होने के साथ-साथ ज्ञानवर्धक भी है। अतः इस शोध-प्रबंध हेतु शोध-छात्रा डॉ. स्वाति डांगी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ तथा डॉ. रामनिवास 'मानव' को उनकी उपलब्धियों के लिए सादर नमन और साधुवाद।
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*कृति : डॉ. रामनिवास 'मानव' और उनका ताँका-काव्य; शोधार्थी : डॉ. स्वाति डांगी*
फ्लैप-1. डॉ. हरमहेंद्रसिंह बेदी, कुलाधिपति, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश)
फ्लैप 2. डॉ. उमाशंकर यादव, कुलपति, सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (राजस्थान)
प्रकाशक : समन्वय प्रकाशन, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश); संस्करण : 2022, मूल्य : 400.00, पृष्ठ : 158.
ISBN : 978-93-92200-01-04
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*--रमेशकुमार सोनी*
रायपुर (छत्तीसगढ़)
मोबाइल : 7049355476
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