गुरतुर मया लोकार्पित 
   बसना, छत्तीसगढ़ में हिंदी के प्रथम हाइकुकार रमेश कुमार सोनी का बहुप्रतीक्षित छत्तीसगढ़ी हाइकु संग्रह-'गुरतुर मया' का लोकार्पण विविध स्थानों पर विविध साहित्यिक व्यक्तित्वों के द्वारा सम्पन्न हुआ। कोविड के प्रोटोकॉल के चलते इस प्रकार के लोकार्पण का इन दिनों प्रचलन  सा है। 
इसे लोकार्पित करने वालों में-डॉ अनिल भतपहरी-सचिव छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, डॉ चंद्रशेखर सिंह-प्राध्यापक एवं  हाइकुकार मुंगेली, डॉ अनुसूया अग्रवाल-प्राध्यापक एवं वरिष्ठ साहित्यकार महासमुंद, डॉ पीसीलाल यादव -से नि राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक एवं वरिष्ठ साहित्यकार गंडई, रामनाथ साहू-वरिष्ठ साहित्यकार एवं व्याख्याता डभरा, सीमा रानी प्रधान-सहा.प्राध्यापक महासमुंद, के पी साहू-संपादक छत्तीसगढ़ जनादेश महासमुंद, वरिष्ठ साहित्यकार सरला शर्मा-दुर्ग, शकुंतला तरार-संपादक नारी का सम्बल रायपुर, देवेंद्र नारायण दास-वरिष्ठ हाइकुकार बसना, अंकुर साहित्य मंच बसना के हाइकुकार बद्री प्रसाद पुरोहित एवं पुरुषोत्तम दीवान छत्तीसगढ़िया ।

आप सभी ने इस संग्रह के लिए अपनी बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हुए इस संग्रह को पठनीय एवं  भविष्य में शोध कार्य की मार्गदर्शिका बताते हुए कहा है कि इससे छत्तीसगढ़ी साहित्य समृद्ध होगा तथा अब यह भी हिंदी के जापानी विधाओं के मुकाबले खड़ी हो सकेगी।  
'गुरतुर मया' छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा अनुमोदित एवं इसके आर्थिक सहयोग से श्वेतांशु प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ है। इसकी भूमिका डॉ चंद्रशेखर सिंह प्राध्यापक मुंगेली एवं शुभकामनाएँ-डॉ लोकेश्वर सिन्हा-दुर्गा महाविद्यालय रायपुर ने लिखी है। एक लंबे अरसे से छत्तीसगढ़ी में प्रामाणिक हाइकु की आवश्यकता महसूस की जा रही थी जो अब इस संग्रह के आने से दूर हुई। इस संग्रह में 7 खंड के अंतर्गत कुल 368 हाइकु संग्रहित हैं जो विविध विषयों पर अपनी प्रबल अभिव्यक्ति के द्वारा हाइकुकार के अनुभूत दृश्यों को पाठकों के समक्ष खोलने में सक्षम हैं। हाइकु-साहित्य लेखन की एक जापानी विधा है जिसे विगत दशकों से हिंदी ने आत्मार्पित कर लिया है, 17 वर्णों में तीन पंक्तियों के अंतर्गत यह एक पूर्ण कविता होती है। इसमें मानवीय संवेदनाओं के विषयों का इन दिनों आधिक्य है, प्रारंभिक अवस्था में इसे मूलतः प्रकृति वर्णन की कविता माना गया है इस तरह इसकी आत्मा में अभी भी प्रकृति वर्णन निहित है। ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व भी 2019 में आपका विश्व मे सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ी ताँका संग्रह-'हरियर मड़वा' प्रकाशित हुई है, इसे भी अच्छा प्रतिसाद प्राप्त हुआ है। 
 इस अवसर पर हाइकुकार रमेश कुमार सोनी ने सभी का आभार मानते हुए कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे छत्तीसगढ़ी साहित्य की सेवा करते हुए इसे सबल करने का अवसर प्राप्त हुआ। 
इस संग्रह के लिए नोएडा से अंतरराष्ट्रीय स्तर के वरिष्ठतम हाइकुकार द्वय-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु', डॉ जगदीश व्योम, उपसंचालक लोक शिक्षण रायपुर के जयप्रकाश मानस, के सी साहू प्राचार्य बसना, नरेंद्र वर्मा-व्याख्याता भाटापारा, शशांक खरे-संपादक दिव्य छत्तीसगढ़, पुरुषोत्तम पटेल-विकास अधिकारी, आर के खरे-से नि प्राचार्य,डॉ शैल चंद्रा-प्राचार्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार गरियाबंद, भगतराम वधवा-वरिष्ठ समाजसेवी एवं सुशील भोले-वरिष्ठ साहित्यकार रायपुर सहित कई गणमान्यों ने अपनी बधाई दी है।

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