कविता -

 








चिड़िया की दुनिया……                     

 

चिड़िया दिखा देती है अपने चूजे को -

नीले आकाश की असीम रहस्मयी विस्तार ,

झील , नदी , पर्वत , जंगल के किस्से

सागर की अतल ख़ामोशी

इंसानी करतूतों की दुनिया |

एक दिन उड़ जाता है चूजा -

घोंसला और सिखाने वाले को छोड़कर ;

मैंने परिंदों की दुनिया में कभी नहीं देखा कि –

चिड़िया ने कभी कोई नियम तोड़ा हो |

हाँ चिड़िया फिक्रमंद जरुर है

तभी तो वह चूजे को पूर्ण शिक्षा देती है

वह डरती है कि कहीं –

कोई चूजा बंदूक ना उठा ले !!

कही वह बेरोजगार ना हो जाये ,

कहीं वह भीड़ में खो ना जाये !

चिड़िया चूजे को नदी बनाकर

अंतर्ध्यान हो जाती है |

पहाड़ अब भी वहीँ खड़े हैं

लोग वृद्धाश्रमों में

यह कहानी सुन – सुना रहे थे ;

चिड़िया हर हालत में चूजे को सिखाती है कि –

जिंदगी के सभी लफड़े – झगड़े से दूर

सबका चारा समभाव से चुगना और

भोर - साँझ में भजन करना

आदमी चिड़िया से सीखता क्यों नहीं .... ?

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