हिंदी ताँका

भौरों ने छुआ 

कली से फूल हुई 

स्पर्श का जादू 

पालकी दौड़ी आयी 

महकी तो कुचली !! 

 

आँखों की भाषा 

मौन से मौन तक 

प्यार ही प्यार 

दिल कहते - बूझे 

बाकी गाल बजाते । 

 

मीत के गाँव 

इमली मीठी लगे 

प्रीत का स्वाद 

दिन - रात बेचैन 

दवा , हकीम थके । 

 

जीत का स्वाद 

संघर्षों की हांडी में 

पके तो मीठा 

बधाई ढेरों मिले 

लोग रेसिपी माँगे ! 

 

धूप - कोहरा 

खेलें आँख मिचौली 

सखी - सहेली 

दौड़ - भाग मचाती 

मायके में नखरा । 

 

खोजे चिड़िया 

कटे वन में ठौर 

हत्यारा कौन

दुनिया हुई मौन 

शोक मना के छुट्टी !

 

कुएँ - तालाब 

साझा संस्कृति पाले 

तेरे न मेरे 

व्यथा - कहानी सुने 

सुख - दुःख निभाते । 

 

झक मारने 

तालाब तट बैठे 

लोग बगुले 

वक्त दोनों को ताके 

साथ उठा ले जाने । 

 

ताकती आँखें 

शून्य में निहारतीं 

कोई आएगा 

अहल्या औ शबरी 

राम सा बेटा कभी । 

 

10 

नीड़ में बीते 

चार दिन जिंदगी 

बसे - उजड़े

सबको पार जाना 

तेरा - मेरा जो छूटे । 

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