
हाइकु विषयक अंतरराष्ट्रीय आयोजन –
विषय - हाइकु पर चर्चा और पाठ
कविता
की पाठशाला और हाइकु दर्पण समूह के हाइकुकारों की एक अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी का
आयोजन 25 जुलाई को न्यूजर्सी से ज़ूम एप पर संपन्न हुआ | इस आयोजन
में अमेरिका , लन्दन , सिंगापुर ,ऑस्ट्रेलिया , स्पेन , नीदरलैंड , जापान ,
वेस्टइंडीज़ और भारत के प्रसिद्ध हाइकुकारों ने सहभागिता की ; इस आयोजन का
समयबद्ध एवं पूर्ण अनुशासन के साथ सञ्चालन डॉ. रेशमा हिंगोरानी ने किया |
इस
आयोजन में मुख्य वक्ता / मार्गदर्शक
के रूप हाइकु दर्पण के संपादक – जगदीश व्योम जी एवं हाइकु १९८९ , १९९९ , २००९ , .... के संपादक कमलेश भट्ट ‘
कमल ’ जी
थे | सभी के परिचय से आरम्भ होकर यह कार्यशाला हाइकु से सम्बंधित संशयों /
प्रश्नों के निराकरण पर टिकी जिसमें हाइकु रचना के कुछ जरुरी नियमों से सहभागियों
को अवगत कराया गया | इसमें बताया गया कि नए लेखक हाइकु रचने से पहले पढ़ें , नयी
दृष्टि विकसित करें , उपमा , उत्प्रेक्षा से बचें , पर्यायवाची शब्दों के अर्थ
परिस्थिति के अनुसार अलग होते हैं अतः इनके प्रयोग में सावधानी अपेक्षित है और
हाइकु में सबसे महत्वपूर्ण है इसका कविता होना तथा पाठकों तक इसका संप्रेषित होना
| हाइकु में सत्रह वर्णों की तीनों पंक्तियाँ स्वतंत्र होनी चाहिए तथा इनके पदांश
का अंत विभक्ति चिन्ह से नहीं करें |
प्रायः सभी सदस्यों ने अपनी बारी में अपने –
अपने हाइकु सुनाए कमलेश भट्ट जी ने हाइकु कविता में व्यंग्य को सेनर्यु
बताते हुए कहा की इसमें बारीक अंतर है जो इन दिनों मिट सा गया है क्योंकि प्रायः
सभी विषयों में हाइकु लिखे जा रहे हैं इस विषयक उन्होंने अपने हाइकु सुनाए –
आज की पीढ़ी / ब्राण्ड पहनती है / कपड़े नहीं |
हर शहर / वुहान ही वुहान / हे भगवान | और .....
डॉ.
जगदीश व्योम ने सभी जिज्ञासुओं की हाइकु विषयक जिज्ञासा का समाधान करते हुए
अपने हाइकु सुनाए –
इर्द – गिर्द हैं / साँसों वाली मशीनें / इंसान
कहाँ ?
थका सूरज / ढहा देगा फिर भी / तम का दूर्ग |
छिड़ा जो युद्ध / रोएगी मानवता / हँसेंगे गिद्ध
|
यूँ ही न बहो / पर्वत सा ठहरो / मन की कहो | और ......
इस अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी
में बसना [ छत्तीसगढ़ ] के एकमात्र प्रतिभागी - रमेश कुमार सोनी ने भी अपने
प्रसिद्ध हाइकु संग्रह – ‘ पेड़ बुलाते मेघ ’ से अपने हाइकु का पाठ किया
जिसकी सबने प्रशंसा की –
हिमशिखर / धूप- बर्फ की दोस्ती / रंग जमाती |
लू , बाढ़ , ठण्ड / बैरी मौसम मारे / चुन – चुन
के |
धूप सस्ती है / पूस – माघ सेंकिए / जेठ महँगी |
इस सार्थक कार्यशाला और
बेहतरीन संयोजन में – अनूप भार्गव , रेशमा हिंगोरानी , शिवमोहन सिंह ,
आर.बी.अग्रवाल , अनुपमा झा , ममता त्रिपाठी , पूनम मिश्रा , शार्दूला नोगाजा ,
आराधना श्रीवास्तव , राजेन्द्र तिवारी , मधु गोयल , रामकुमार माथुर , रुचिका
सक्सेना , वंदना वात्स्यायन , आनंद खरे , डॉ. संजय सराठे , अर्चना उपाध्याय , शशि
पाधा , शीतल जैन , संतोष , राकेश गुप्ता , रीमा , सोनम यादव , अमित खरे एवं आनंद
खरे सहित लगभग 30 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया |




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