हिन्दी हाइकु

जन्मी जो कली 
पत्तियाँ छिपा लेतीं 
फूले , दिखाती ।

चिता दहके 
प्रश्न लादे लौटते 
बेताल पीठ । 

जिंदा रहते 
पेड़ों पे खोदे नाम 
पेड़ सिसके ।

मोहक दृश्य 
अनारकली खिली 
इश्क का रंग । 

रिश्ते , विश्वास 
दंगों में राख हुए 
बैर उगते । 

युवा उमंग 
फुनगी का सौन्दर्य 
जग सराहे । 

गुम डाकिया 
गूगल की दुनिया 
खुशी विधवा । 

गुलाब कली 
मदहोश यौवन 
रूपसी साध्वी । 
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1 comment:

  1. वाह, उत्कृष्ट सृजन, हार्दिक बधाई महोदय🙏🙏

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