हाइकु की दुनिया  

दस्तक बिना
हवा बेखौफ घुसी
घूमने आती ||

 
चाहे ना चाहे
गंध अतिथि जैसे  
घुसे पड़ते ||

 
सुनाने दौड़ी
ख़बरें लादी हवा
बूझ लें भाषा ||

 
हवा बंजारे
पता ढूंढते फिरे
कांक्रीट गाँव ||

बेल फले हैं
ग्रीष्म दोष मिटाने
शर्बत पी लें ||

ग्लोबल गर्मी
वृक्ष शरण बैठी
दुनिया सारी ||


 
पानी बचाओ
सिर्फ गर्मी का हल्ला
वर्षा में चुप्पी ||

गर्मी की रात
आँगन खाट लगे
किस्सों में गाँव ||

जेठ की धूप
धूल बन उड़ती
उर्वरा मिट्टी ||

१०
शिकंजी पीने
जेठ – बैशाख आते
प्याऊ में खड़े ||

११
फूलों की लाज
काँटे रक्षक बने
छुओ तो चुभे ||


१२
फूलों की डाली
निडर प्यार बाँटे
शान से तनी ||


 १३  
मोंगरा खिले
गोरी जूड़े में सजे
पिया बहके ||


१४
पीली कनेर
सड़कों बीच खड़ी
लिफ्ट माँगते ||

१५  
पीले फूले हैं
तरोई औ कुम्हड़ा
काँटों अटका ||


१६  
रेत में उगे
तरबूज बैठा है
पालथी मारे ||


१७  
जामुन काला
औषधि गुण भरा
बिके महँगा ||


१८  
भूख मिटाने
फले पेड़ झुके हैं
निःशुल्क सेवा ||


१९
फूल खड़े हैं
फलवती की इच्छा
टूट से डरे ||


२०
समुद्री झूले
बाल सूर्य झुलाते
खुश लहरें ||


२१  
खाली हाथ ही
सूर्य का आना – जाना  
जग की आत्मा  ||

२२  
सांझ के घर
सूर्य के घोड़े रुके
रात सुस्ताते ||


२३  
हवा के यार
मेघ , धूप , बयार
सदैव रार ||


२४
वट की छाँव
धूप , हवा औ रिश्ते  
सबके गाँव ||


२५
बेर बुलाते
काँटा पैर चुभाते  
जीभ चटोरी ||


२६
पेड़ संत हैं
सब लुटाते खड़े
कुछ ना माँगे ||

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