आध्यात्मिक हाइकु 
कर्मों की माया
संसार पीछे दौड़ा
बूझ ना पाया ||

क्या तेरा – मेरा
आनी – जानी दुनिया
मुस्कुरा लेना ||

मुस्काते रहें
हर्ष देता उत्कर्ष
साथी मिलते ||

दुनिया यज्ञ
मन के घोड़े दौड़े
थामे तो युद्ध ||

 
प्रेम बिरवा
सदा रहे सधवा
क्यों है बलवा ?

 
किस्से बनते
समस्या ना सुलझे
क्रोध दुनिया ||

 
वक्त का बीन
जन्म – मृत्यु का धुन
जीवन मेला ||
 
सांसों की आस
सदा रौशनी जीते
भोर विश्वास ||

 
स्याह जेबों में
उजाले गिरवी हैं
ब्याज माँगते ||

१०  
मृत्यू मिलाती
जन्मों का फेरा ख़त्म
प्रभू – आत्मा से ||

११
बिना आरजू
कट गयी जिंदगी
काल तराजू ||

१२
सृष्टि का लिखा
प्रेम ,भक्ति से निभा
मौत सौतन ||

१३
भाग्य में लिखा
कब हँसना – रोना
कर्म से भाग्य ||

१४
मौत बहाना
प्रभू मिलन बेला
जिंदगी रोड़ा ||

१५
इश्क बंदगी
प्रभू शरण पाया
राह मोक्ष का ||

१६
मन में घृणा
ज्वालामुखी धधके
राख ही बचे ||

१७
मुसाफिर हूँ
जग बीच भटका
पतंग कटी ||

१८
उजाला देखो
अँधेरा पाले बैठा
निंदक न्यारे ||

१९
चादर मैली
चार दिन ना चली
रंग दे कान्हा ||

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