holi hai !!!!!!

फागुन बुलाने आए पलाश के हाइकु –

 
लाल चुनौती
पत्तियाँ झर जाती  
पलाश फूले ||

लाल रंगने
पलाश जी पुकारे
फागुन आए ||

पलाश रंग
भोर – साँझ में छाया
कौन चितेरा ?

पलाश झूमे
दुःख ऋतु के संग
मन मलंग ||

पलाश फूले
दुःख के रंग लाल
सिर चढ़ते  ||


दुःख की बेला
टेसू अकेले खड़ा
रंग बाँटते ||

 
पलाश झरे
दुःख के दाग अच्छे
हर्ष फैलाते ||

 
पलाश झरे
मीत बनाते कहे -
मोहे ना रंगो ||

 
पलाश कहे
जीना – मरना यहाँ
झरे शान से ||

१०
टेसू जो फूले
मन में लड्डू फूटते
ब्याह ऋतु है ||

११  
टेसू दहके
ग्रीष्म का सन्देश है
सिर ढँकिए ||

१२
टेसू सुंदरी
लाली बाँटने झरी
माथे सजती ||

१३
टेसू के गाँव
ऋतु ने छेड़ी जंग
पत्तियाँ मरीं ||  
  
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