फागुन बुलाने
आए पलाश के हाइकु –
१
लाल चुनौती
पत्तियाँ झर जाती
पलाश फूले ||
२
लाल रंगने
पलाश जी
पुकारे
फागुन आए ||
३
पलाश रंग
भोर – साँझ
में छाया
कौन चितेरा ?
४
पलाश झूमे
दुःख ऋतु के
संग
मन मलंग ||
५
पलाश फूले
दुःख के रंग
लाल
सिर चढ़ते ||
६
दुःख की बेला
टेसू अकेले
खड़ा
रंग बाँटते ||
७
पलाश झरे
दुःख के दाग
अच्छे
हर्ष फैलाते ||
८
पलाश झरे
मीत बनाते कहे -
मोहे ना रंगो ||
९
पलाश कहे
जीना – मरना
यहाँ
झरे शान से ||
१०
टेसू जो फूले
मन में लड्डू
फूटते
ब्याह ऋतु है
||
११
टेसू दहके
ग्रीष्म का
सन्देश है
सिर ढँकिए ||
१२
टेसू सुंदरी
लाली बाँटने
झरी
माथे सजती ||
१३
टेसू के गाँव
ऋतु ने छेड़ी जंग
पत्तियाँ मरीं ||
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