रिश्तों के हाइकु
१
रिश्तों की बातें
बदनाम करती
डंका क्यों पिटा ?
२
मुफ्त खजाना
रिश्तों के हीरे – मोती
जन्म से मिला ||
३
रिश्ता मोहल्ला
सुख – दुःख का मेला
निभा के भेजा ||
४
साथ ना निभे
मज़बूरी के रिश्ते
रास्ते में थके ||
५
शक का पौधा
रिश्तों के खेत उगा
जानी दुश्मन ||
६
रिश्तों के गाँव
परायों का शहर
ढाता कहर ||
७
अनाम रिश्ता
‘ लीव इन ’ कहाता
स्वार्थ से भरा ||
८
मन का खोट
रिश्तों को देता चोट
चाहता नोट ||
९
रिश्तों के पंख
प्राण पखेरू उड़े
पत्तों से झरे ||
१०
दूर के रिश्ते
लगते हैं सुहाने
वक्त परखे ||
११
भांडा फूटता
शक , स्वार्थ की गली
रिश्तों को गाली ||
रमेश कुमार सोनी
[ राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षक एवं
साहित्यकार ]
जे.पी.रोड – बसना [छ.ग.] ४९३५५४
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