रिश्तों के हाइकु

रिश्तों के हाइकु
रिश्तों की बातें
बदनाम करती  
डंका क्यों पिटा ?

मुफ्त खजाना
रिश्तों के हीरे – मोती
जन्म से मिला ||

रिश्ता मोहल्ला
सुख – दुःख का मेला
निभा के भेजा ||

साथ ना निभे
मज़बूरी के रिश्ते
रास्ते में थके ||

शक का पौधा
रिश्तों के खेत उगा
जानी दुश्मन ||

रिश्तों के गाँव
परायों का शहर
ढाता कहर ||
अनाम रिश्ता
‘ लीव इन ’ कहाता
स्वार्थ से भरा ||

मन का खोट
रिश्तों को देता चोट
चाहता नोट ||

रिश्तों के पंख
प्राण पखेरू उड़े
पत्तों से झरे ||

१०
दूर के रिश्ते
लगते हैं सुहाने
वक्त परखे ||

११
भांडा फूटता
शक , स्वार्थ की गली
रिश्तों को गाली ||


          रमेश कुमार सोनी
[ राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षक एवं साहित्यकार ]
    जे.पी.रोड – बसना [छ.ग.] ४९३५५४


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