1
मेला देखता
पिता के काँधे बच्चा
राजा सी शान।
2
बच्चों की जिद
घोड़ा बनते पिता
बच्चा दुनिया।
3
पिता की भुजा
धरा-सीना चीरते
रोटी उगाने।
4
पिता के माथे
भाग्य खींचते डरे
चिंता लकीरें।
5
पिता ना रोते
ज़ेब में धैर्य धरे
मुस्कुरा देते।
6
पड़ोस डरे
पापा को बुलाऊँ क्या?
बच्चों का खेल।
7
बड़ा करने
ऊँगली थामे पिता
राह दिखाने।
8
लौटेते पिता
रिश्ते ज़िंदा रखने
मेरी शक्ल में।
9
डर भी डरे
बाप,बाप होता है
घर निर्भय।
10
पिता-ढेखरा
रिश्तों की बेल चढ़े
जान फूँकते।
(ढेखरा-सूखी लकड़ी की डगाल,
छत्तीसगढ़ी)
…..
रमेश कुमार सोनी
रायपुर, छत्तीसगढ़
7049355476
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