रफ कॉपी


रफ कॉपी


एक होती है- रफ कॉपी 

कोई शिक्षक इसे जाँचते नहीं

कोई इसमें झाँकते तक नहीं

पता नहीं लोग इसे 

बिंदास खुला क्यों छोड़ देते हैं। 


एक दिन मैंने फुर्सत में 

कुछ रफ कॉपी में देखा-

किराने का हिसाब

खेती के खर्च 

उधारी,गिरवी के किश्त की तारीखें

राशन कार्ड और विधवा पेंशन के पेपर

मैं समझ गया बच्चा 

उम्र से पहले ही पिता हो गया है। 


पलटते पन्नों में दिखता गया मुझे-

शिक्षक का कार्टून

दोस्त के लिए बनाए टैटू

बहन की मेहंदी और रंगोली के नमूने

अधफटे पन्नों की शायरी

कुछ अजीब से पते और

कई हस्ताक्षरों के अभ्यास

बच्चे जाने क्या चाहते हैं। 


किसी भी रफ कॉपी में 

मुझे नहीं मिला-

साफ-सुथरा लिखा हुआ

कोई होमवर्क;

उलझी हुई जिंदगी के जैसी है

सबकी रफ कॉपी 

इसी से हम जान पाते हैं कि

कौन कितने पानी में है। 


फटी-पुरानी सी,सिली हुई 

चिथड़े जैसी दिखती 

बिना पहनावे की 

किसी भी बस्ते में 

लिफ्ट लेकर यात्रा करती 

इस रफ कॉपी को मेरा नमन 

क्योंकि यह स्कूल तक आती तो है

लेकिन इस जैसी जिंदगी से 

ईश्वर हम सबको दूर रखे

बच्चे को स्कूल से दूर रखने का 

अपराध वक्त याद रखेगा। 

….

रमेश कुमार सोनी

रायपुर,छत्तीसगढ़






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