ताँका









 1

निजी स्कूलों में

शिक्षा–दीक्षा महँगे  

सब बेचते

क्रेता पंक्ति में खड़े

सपने खरीदने।

 

2

नये कसाई

लिंग भेद मशीन

मजबूर माँ

कोख में कन्या मारे

दरिंदों की दुनिया।

 

3

आँसू सूखे हैं

कब्रस्तान का पेड़

गिनती भूला

शवों को कंधा देते

कर्फ्यू क्यों लगता है ?

 

4

सत्ता रूपसी

लोकतंत्र बाराती

हाला पिलाती

सेंसेक्स सी कुलाँचे

वोटों का अर्थशास्त्र।

 

5

परिंदे गाते

सुख, चैन के गीत

सुकून देने

बाज़, चील झपटे

मुफ्तखोर कबीले।

 

6

प्रश्नों का जाल

उत्तर हाँफते हैं

सारी जिंदगी

तीन घंटे से चालू

अर्थी तक जिन्दा हैं।

 

7

गर्मी निचोड़े

बर्फ का खून रिसे

सागर खारे

आत्मा पुकार उठी

प्रदूषण रोकिए।

 

8

धूप की कूची

भित्ति चित्र पेड़ों के

रोज बनाती

सदा से ही अधूरी

छोटी–बड़ी हो जाती।

 

9

बाज़ार सूना

सौदा खरीदे गोरी

लोग कंगाल

बाज़ार भी लुटाया

आँखों का जादू जुल्मी।

 

10

लू पहूँचा है

पहाड़ी चोटी पर

बर्फ से युद्ध 

पानी–पानी वे हुए

पसीना हमें आया।

 

11

 गाँव जो चला

छोटी पगडण्डी से

शहर ओर

गुमशुदा हो गए

खेत, संस्कृति, रिश्ते।

...................................

रमेश कुमार सोनी 

 

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