1
नाच नचाए
फागुन बंजारन
टेड़ा आँगन।
2
होली ख़बरें
मर्यादा तोड़ उड़े
बुरा ना मानो?
3
लायी फागुनी
हरी पत्ती की-सखी
लाल टहनी।
4
होली का हल्ला
सहमी फगुनिया
एलर्जी चुभे।
5
होली जाँचता
रंग जमा या लगा?
प्यार पैमाना।
6
होली में जली
नफरतों की बोली
मची ठिठोली।
7
फागुन लाया
रंग, भाँग, अबीर
होली रसिया।
8
होली जो लाती
ठिठोली की पोटली
भौजी शर्माती।
9
टेसू रंगीला
रंगे दुनिया सारी
रंग रसिया।
10
रक्त की होली
युद्ध ना चिन्हे लोग
मौत का रंग।
11
खोह-बंकर
भूख का रंग पक्का
लोग पराए।
12
मौत ताकती
लाल रंग बिखरा
यम की होली।
13
मसान रंग
धरा आकाश देखे
चीथड़े-लोग।
14
रक्त की होली
सौदागर चाहता!
क्रूर नज़रें।
15
रंग बिखरे
लोथड़े जो उड़ते
मौत की होली।
.........
बहुत ही सुंदर सटीक सामयिक हाइकु। रंगोत्सव की मंगलकामनाएँ
ReplyDeleteधन्यवाद रेखा जी। आपको भी रंगोत्सव की बधाई।
ReplyDelete