बंद डिब्बा , बंद दिमाग
बंद खिड़की ,
बंद दरवाजा .....
कोई खोले तो सही
मिलेगा शायद उसे वहाँ -
बेसन के लड्डू ,
गणित के उत्तर ,
दूध पिलाती गाय
या कोई नहीं था द्वारे !
फिर तुम क्यों लौट आती हो
उदासी के साथ कमरे में ,
क्या तुम्हें नहीं लगा की
वाकई कोई नहीं था वहाँ
या शायद कोई तो था
शायद -
प्रचंड लू की नागिन ?
धुन्ध , ओस का कोचिया ?
बर्फ , आइसक्रीम का ब्यापारी ?
श्वेटर , कंबलों का कुली या
भीगती खड़ी वर्षा रानी ?
नहीं दिखा इनमें से कोई भी तुम्हें ...!
कोई गाय , कुत्ता , गौरैया ....
ये सब अब नहीं दिखेंगे तुम्हें क्योंकि -
इस दुनिया के रंगमंच से
ये सब अपनी - अपनी भूमिका निभाकर लौट गए हैं
अब तुम्हें ये सोचना है कि -
तुम्हारा काम कब खत्म होगा ?
तुम कब लौटोगे यहाँ से ....?
....... ........
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